अहीर कॉलेज भूमि घोटाले का मामला गरमाता जा रहा है। मंगलवार को फिर पूर्व मंत्री कैप्टेन अजय सिंह यादव ने प्रेसवार्ता कर बताया कि रजिस्ट्री में अनियमता सहित किस तरह से अहीर एजुकेशन बोर्ड से अहीर एजुकेशन प्रोईवेट सोसाईटी बना ली गई। यादव का कहना है कि रजिस्ट्री में जो प्रोपर्टी आईडी लिखी हुई है उसमें सिर्फ 4805 गज जमीन दिखाई गई थी जबकि रजिस्ट्री 105 कनाल की हुई है। वहीं रजिस्ट्री अनुसार भूमि का जो पट्टा चढा हुआ है वह 1965 का है और इनके अधिवक्ता उसको 1935 का बोलते हैं जबकि हमें जो जानकारी मिली है उसके अनुसार वह 1928 से 2018 तक था। यादव ने बताया कि 6 अप्रैल 1980 को अहीर एजुकेशन बोर्ड को डिसोल्व करके उसको अहीर एजुकेशन सोसायटी बना ली गई थी जिसमें मात्र एक नाम पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री स्र्व. राव बिरेंद्र सिंह का था। सभी लोगों को किस आधार पर निकाल दिया गया और मात्र अपने चहेते लोगों को ही अहीर एजुकेशन सोसायटी में शामिल किया गया।
 कैप्टेन अजय सिंह ने कहा कि सोसाईटी में सैंकडों आजीवन सदस्य थे उन सभी को निकाल दिया गया और जो मेंबर अब हैं उनमें केवल इंद्रजीत के परिवार के सदस्य ही क्यों हैं। 1944 से लेकर 1980 तक के सदस्यों की लिस्ट को सार्वजनिक करना चाहिए, ताकि लोगों के सामने सच्चाई आ सके। यादव ने कहा कि लोगों ने खून पसीना एक करके कॉलेज को बनाया था सैंकडों लोगों ने चंदा दिया था। लेकिन हमारे अहीरवाल की धरोहर को भी राव इंद्रजीत सिंह ने नही बख्सा। अहीर कॉलेज की मलकियत को प्राईवेट लिमिटेड संस्था बना लिया गया है।  पूर्व मंत्री ने कहा कि यह प्राईवेट संस्था होने के बाद भी युजीसी से ग्रांट ली जा रही है और सरकार से सेलरी भी ली जा रही है। इस सोसायटी के चेयरमैन राव इंद्रजीत सिंह हैं। इसलिए सामने आकर जनता के सभी सवालों के जवाब देने चाहिए ना कि अपने समर्थकों को आगे करना चाहिए। वहीं समर्थक भी खूब आगे किए जिनके पति तो स्वयं ही भष्ट्राचार में लिप्त पाए गए थे और उनके ससुर भुमाफिया है। यदि मैं उनके बारे में बोलने लग गया तो छुपने के लिए जगह भी नही मिलेगी, इसलिए मेरी नसीहत है मैं उनके बारे में कुछ नही बोल रहा तो चुप रहने में फायदा है।
 कैप्टेन अजय सिंह यादव ने कहा कि अहीर कॉलेज को समाज के लोगों ने मिलकर बनाया था। उन लोगों के नाम के पत्थर भी हटा दिए गए। जिन लोगों ने मालिक बनकर जमीन को बेचा है उनको एयू खान एडीजे हिसार द्वारा वर्ष 1938 में ही जमीन के असल मालिक रहे स्र्व लाला मक्खन लाल का वंशज नही माना गया था। उसके बाद इन्होंने किसी अदालत में दोबारा से याचिका भी नही डाली। अब किस आधार पर इन्होंन जमीन को बेच दिया।
 यादव ने आरोप लगाते हुए कहा कि 200 करोड रूपये की जमीन को महज डेढ करोड रुपये में खरीदकर बडा जमीन घोटाला किया है। इससे सरकारी खजाने को 1 हजार करोड का नुक्सान हुआ है। जमीन भी उन लोगों से खरीदी गई है जो जमीन के असल मालिक है ही नही। इन लोगों के खिलाफ कोर्ट में दर्जनों मुकदमें चल रहे हैं तथा रेवाडी के पूर्व आयुक्त टीएल सत्यप्रकाश ने 2009 में एफआईआर दर्ज करने तक के आदेश भी दिए थे।
 कैप्टेन अजय सिंह ने कहा कि यहां पर बने हुए अहीर स्कुल को बंद कर दिया और आरबीएस नाम से स्कुल खोल दिया गया जिसका पूरा नाम भी नही पता कि क्या है। यहां पर भगवती आश्रम होता था उसको भी बंद कर दिया गया, वे सभी संत अग कहां हैं। इसके अलावा वहां पर लडकियां शिक्षा ग्रहण करती थी, जेबीटी कॉलेज होता था, वो सब कुछ बंद कर दिया गया। इसके अलावा दिल्ली में राव तुलाराम कॉलेज होता था वहां कॉलेज की जगह टेनिस कोर्ट खोल दिया गया। जिसका किराया भी राव इदं्जीत सिंह द्वारा लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसी तरह से इंसाफ मंच बना लिया गया जिसमें करोडों रूपये चंदा लोगों से यह कहकर ले लिया गया कि ईलाके का इंसाफ किया जाएगा। उसका भी कोई हिसाब किताब नही है। कैप्टेन अजय सिंह ने कहा कि आगामी 27 सितंबर को किसानों द्वारा भारत बंद का कांग्रेस पार्टी पूरा समर्थन करती है। हम भी भारत बंद में किसानों का सहयोग करेगें।