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कोरोना के बाद H3N2 वायरस का कहर लोगों को डराने लगा है। H3N2 इन्फ्लुएंजा ने देश में हड़कंप मचा दिया है। इसके कारण कई लोगों को जान गंवानी पड़ी है। यह देश के कई राज्यों में पैर पसार चुका है। इनमें केरल, पंजाब और हरियाणा शामिल हैं।
सरकारी सूत्रों ने यह भी कहा कि देश भर में इस वायरस के कारण होने वाले फ्लू के 90 मामले सामने आए हैं, H3N2 इन्फ्लूएंजा से पहली बार मौतों की खबर सामने आई है। मीडिया रिपोर्ट्स में हेल्थ मिनिस्ट्री के सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि हरियाणा और कर्नाटक में इन्फ्लुएंजा के एक-एक मरीजों की मौत हुई है।
हरियाणा के मामले की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन कर्नाटक केस की जानकारी सामने आई है। मृतक का नाम हीरा गौड़ा है और उम्र 82 साल है। जिला स्वास्थ्य अधिकारी के मुताबिक, हीरा की एक मार्च को मौत हुई थी। वह डायबिटीज और हाइपरटेंशन का मरीज था। जांच के दौरान उनका सैंपल लिया गया था। 6 मार्च को सामने आया कि वह H3N2 से संक्रमित था।
H3N2 वायरस क्या है?
H3N2 वायरस एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा वायरस है जिसे इन्फ्लूएंजा ए वायरस कहा जाता है. यह एक सांस रिलेटेड वायरल इन्फेक्शन है, जो हर साल बीमारियों का कारण बनता है. इन्फ्लूएंजा ए वायरस का सबटाइप है जिसकी खोज 1968 में हुई थी. रोग नियंत्रण केंद्र (CDC)और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, H3N2 इन्फ्लुएंजा पक्षियों और दूसरे जानवरों से म्यूटेट होकर इंसानों में फैलता है.
H3N2 के क्या लक्षण हैं?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मनुष्यों में एवियन, स्वाइन और अन्य जूनोटिक इन्फ्लुएंजा संक्रमण से सांस लेने में तकलीफ होना, ऑक्सीजन लेवल 93 से कम होना, छाती और पेट में दर्द और दबाब महसूस होना, बहुत ज्यादा उल्टी, मरीज के कंफ्यूज रहने या भ्रमित रहने और बुखार-खांसी रिपीट होना इसके लक्षण हैं. कुछ मामलों में मरीज को डायरिया और नाक बहने की शिकायत हो सकती है. इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द या बेचैनी का अनुभव होता है, लगातार बुखार और भोजन करते समय गले में दर्द होता है, तो डॉक्टर को दिखाना बहुत जरूरी है.
पूर्व एम्स निदेशक बोले थे- बुजुर्गों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत
एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने पिछले दिनों H3N2 इन्फ्लूएंजा से लोगों को सावधान रहने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि यह कोरोना के जैसे ही फैलता है। इससे बचने के लिए मास्क पहनें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और बार-बार हाथ धोते रहें। बुजुर्गों और पहले से ही किसी बीमारी से परेशान लोगों को इससे ज्यादा परेशानी हो सकती है।
क्या करें और क्या न करें?
संक्रमित लोगों से यह वायरस इंसानों में तेजी से फैल सकता है. ऐसे में कुछ प्रोटोकॉल का पालन करना बहुत जरूरी है:-
-अपने हाथों को नियमित रूप से पानी और साबुन से धोएं.
-फेस मास्क पहनें और भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें.
-अपनी नाक और मुंह को बार-बार छूने से बचें.
-खांसते और छींकते समय अपनी नाक और मुंह को अच्छी तरह से ढक लें.
-हाइड्रेटेड रहें और खूब सारे तरल पदार्थों का सेवन करें.
-बुखार और बदन दर्द होने पर पैरासिटामोल लें.
-सार्वजनिक स्थानों पर थूकने से बचिए.
-हाथ मिलाने जैसे संपर्क-आधारित अभिवादन का इस्तेमाल न करें.
-डॉक्टर की सलाह के बिना खुद से कोई भी दवा न लें.
-इंफेक्टेड होने पर अन्य लोगों के बगल में बैठकर खाना न खाएं
इस बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने डॉक्टरों से कहा है कि संक्रमण बैक्टिरियल है या नहीं, बिना इसकी पुष्टि के मरीजों को एंटीबायोटिक्स न दें, क्योंकि इससे प्रतिरोध पैदा हो सकता है. बुखार, खांसी, गले में खराश और शरीर में दर्द के अधिकांश मौजूदा मामले इन्फ्लूएंजा के मामले हैं, जिसके लिए एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत नहीं होती है
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